18 आदमी 10 दिनों में एक कुआँ खोद सकते हैं। 4 दिनों तक काम करने के बाद, यद् हमें 4 दिनों में काम पूरा हो तो कितने और पुरुषों को नियुक्त किया जाएगा?

(A)  12
(B)  9
(C)  6
(D)  15

Solution : 

18 आदमी    -------    10 दिन      --------    एक कुआँ
18 आदमी         ------     4 दिन तक काम किया 
18 आदमी       ---------   6 दिन काम और करने पर काम पूरा होता 
यदि 6 दिन काम 1 दिन में करना हो तो -------------  18 * 6 = 108 आदमियों की जरुरत पड़ेगी 
इसका मतलब, 108 आदमी     -----------------       1 दिन मेंअपना काम करेगा 
तो,  4 दिन में    ---------108/4 = 27 आदमी 
यदि हमारे पास 18 आदमी पहले से थे तो 27-18 = 9 आदमी

लाल निशान छूने को आतुर बूढ़ी राप्ती, सहमे ग्रामीण



 घोघी खतरे के निशान से ऊपर, राप्ती ने भी पकड़ी रफ्तार

संवाद न्यूज एजेंसी

सिद्धार्थनगर। तीन दिन तक हुई बारिश से जिले में नदियों के जलस्तर में उफान आ गया है। घोघी नदी जहां खतरे के लाल निशान से ऊपर बह रही है। वहीं बूढ़ी राप्ती लाल निशान छूने को आतुर है। राप्ती के भी रफ्तार पकड़ने से आसपास के ग्रामीण सहमे हैं।

पड़ोसी नेपाल के पहाड़ पर हुई बारिश के बाद जिले के नदियों के जलस्तर में वृद्धि होना जारी है। बानगंगा को छोड़कर जिले के सभी नदियों का जलस्तर खतरे केे निशान के करीब पहुंच गई है। जिससे कछारवासियों की नींद उड़ गई है। ड्रेनेज खंड कार्यालय के मुताबिक बानगंगा नदी खतरे के निशान 93.420 मीटर के सापेक्ष 91.40 मीटर, जमुआर नाला 84.89 के सापेक्ष 81.23 मीटर, राप्ती नदी 84.900 के सापेक्ष 82.600 मीटर, बूढ़ी राप्ती 85.650 के सापेक्ष 85.630 मीटर, तेलार नाला 87.500 के सापेक्ष 86.60 मीटर, कूड़ा नदी आलमनगर 87.200 के सापेक्ष 87.00 मीटर, उसका रेलवे 83.520 के सापेक्ष 82.110 मीटर, घोघी नदी 87.000 के सापेक्ष 87.35 मीटर पर बह रही है। संवाद


कोरोना टीकाकरण के लिए घर-घर पहुंचाई जाएगी बुलावा पर्ची


 

टीकाकरण के लिए हर राजस्व ग्राम में गठित होंगी टीमें

प्रधान, लेखपाल, आशा, आंगनबाड़ी और शिक्षक शामिल होंगे

संवाद न्यूज एजेंसी

डुमरियागंज। कोरोनारोधी टीकाकरण अधिक से अधिक लोगों को लगे। इसके लिए अब घर-घर बुलावा पर्ची वितरण किया जाएगा। पर्ची के जरिए लोगों को टीकाकरण के लिए बुलाया जाएगा। चुनाव की तर्ज पर यह प्रयोग किया जा रहा है। इस कार्य को सफल बनाने का जिम्मा ग्राम प्रधान, लेखपाल, आशा व आंगनबाड़ी वर्कर, प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक, पंचायत सेक्रेट्री और युवक मंगल दल और महिला मंगल दल का भी सहयोग लिया जाएगा। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने सीएमओ को पत्र जारी करके टीकाकरण को सफल बनाने का निर्देश दिया है। इसके बाद विभागीय कवायद शुरू हो गई है। सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विकास खंड को और शहरी क्षेत्र में नगरीय निकाय को इकाई के रूप में लेकर कार्य योजना बनाने के लिए कहा गया है। इस इकाईयों को क्लस्टर में इस तरह से विभाजित किया जाएगा, ताकि एक माह के भीतर टीकाकरण टीमें सभी क्लस्टर में पहुंच जाएं। क्लस्टर में मोबाइल टीम द्वारा टीकाकरण के अतिरिक्त अस्पतालों, आरोग्य व स्वास्थ्य केंद्रों एवं अन्य भवनों पर स्थित टीकाकरण स्टैटिक, केंद्रों के माध्यम से वैक्सीन लगाई जाएगी।

तीन दिन पहले से किया जाएगा जागरूक

टीकाकरण टीम पहुंचने से पहले मोबाइल टीम द्वारा तीन दिन तक लोगों को वैक्सीन व वैक्सीनेशन के बारे में जानकारी देने के साथ ही शंका मिटाने का कार्य किया जाएगा। राजस्व ग्रामों के मुताबिक क्लस्टर बनाए जाएंगे। यह भी ध्यान रखा जाएगा कि हर क्लस्टर में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों की आबादी करीब करीब समान हो। ताकि चार से छह दिनों में इन सभी का टीकाकरण किया जा सके। क्लस्टर के विभाजन में मतदाता सूची भी सहायक हो सकती है। उसी के मुताबिक घरों पर बुलावा पर्ची मिलेगी। जिस पर तिथि और स्थान का उल्लेख होगा।


प्रतिकूल परिस्थिति के लिए होगी क्यूआरटी

क्लस्टर में टीकाकरण के दौरान किसी प्रकार की प्रतिकूल घटना एईएफआई के प्रबंधन के लिए दो क्विक रिस्पांस टीम लगाई जाएंगी। इन दो टीमों के समूह को क्लस्टर रिस्पांस टीम सीआरटी कहा जाएगा। टीम के पास वाहन के साथ ही जरूरी दवाएं भी मौजूद होंगी। टीकाकरण के बाद व्यक्ति में किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति में 108 एंबुलेंस को तत्काल बुलाया जाएगा और संबंधित को ब्लॉक स्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया जाएगा।


सिद्धार्थनगर में कोरोना वैक्सीन का टीका लगाने वाले 14 अधिकारी रहे अनुपस्थित


 14 गैर हाजिर अधिकारियों को नोटिस

कोरोना वैक्सीनेशन में पर्यवेक्षणीय अधिकारियों की समीक्षा

समीक्षा के दौरान गैरहाजिर रहे अफसर, सीडीओ ने दिया नोटिस

सिद्धार्थनगर। कोरोना वैक्सीनेशन अभियान में नोडल बनाए गए अधिकारियों के कार्यों की समीक्षा में अनुपस्थित 14 अफसर को कारण बताओ नोटिस दिया गया है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

लोहिया कला भवन में 15 जून को डीएम दीपक मीणा की अध्यक्षता में कोरोना वैक्सीनेशन अभियान में ग्राम पंचायतवार नोडल अधिकारियों के कार्यों की समीक्षा हुई। इस दौरान 14 अधिकारी अनुपस्थित थे। डीएम ने गंभीरता से लिया और सभी को कारण बताओ नोटिस देने का निर्देश दिया है। सीडीओ पुलकित गर्ग की ओर से जिन अफसरों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें परियोजना अधिकारी नेडा अनिरुद्ध दुबे, सहायक अभियंता राप्ती नहर खंड प्रणय जायसवाल और संजय कुमार, पीसीएफ के जिला प्रबंधक अमित चौधरी, क्षेत्रीय विपणन अधिकारी उमेश मणि त्रिपाठी, सहायक अभियंता लोनिवि अरुण कुमार, अधिशासी अभियंता लोनिवि बांसी राजेश कुमार, क्षेत्रीय खाद्य विपणन अधिकारी बृजेश कुमार, अधिशासी अभियंता सरयू नहर खंड-एक उग्रसेन, जिला कृषि रक्षा अधिकारी बृजेश कुमार विश्वकर्मा, अधिशासी अभियंता राप्ती नहर खंड संदीप नारायण उपेंद्र, श्रम प्रवर्तन अधिकारी लीलाधर, क्रीड़ा अधिकारी सर्वदेव सिंह यादव, पशु चिकित्साधिकारी डॉ. प्रभाकर सिंह शामिल हैं। सीडीओ ने बताया कि जवाब संतोषजनक नहीं मिलने पर विभागीय कार्रवाई के लिए संस्तुति कर दी जाएगी।



आज का मौसम सिद्धार्थनगर में

 

सिद्धार्थनगर का मौसम 


दिनांक : 18 जून 2021 


कालानमक ने सिद्धार्थनगर जिले को विश्व भर में दिलाई पहचान

कालानमक धान बना सिद्धार्थनगर की शान 

कालानमक किरण 

     उत्तर प्रदेश की सर्वाधिक चर्चित एवं विख्यात धान की स्थानीय किसानों की किस्म कालानमक विगत तीन हजार वर्षा से खेती में प्रचलित रही है. सुधरी प्रजातियों अनुपलब्धता के कारण मूलतः स्वाद और सुगन्ध में किसानों की यह धान की किस्म विलुप्त होने के कगार पर थी. इसकी खेती का क्षेत्रफल 50 हजार से घटकर 2 हजार पर आ गया था और पूरा अन्देशा था कि धान की यह दुर्लभ किस्म हमेशा के लिए विलुप्त हो जायेगी. किसानों और उपभोक्ता को कालानमक धान की पहली प्रजाति केएन3 2010 में मिली जिसमें स्वाद और सुगन्ध दोनो ही पाये गये. इसके पश्चात् पहली बौनी प्रजाति बौना कालानमक 101 भारत सरकार द्वारा 2016 में और बौना कालानमक 2017 में अधिसूचना किया गया. दोनों प्रजातियों में उपज 40 से 45 कुन्टल थी फिर भी दाने के गुण में कमी के कारण किसान और उपभोक्ता दोनो पूर्ण रूप से सन्तुष्ट नही थे. इन्ही कमियों को दूर करके 2019 में पीआरडीएफ संस्था ने कालानमक किरण नामक प्रजाति भारत सरकार से विमोचित कराई|

आकारिक गुण एवं विशेषताए

लगभग 95 सेमी चाई तथा 35 सेमी लम्बी बालियों वाली यह प्रजाति प्रकाश अवध की संवेदी है. अर्थात् इसकी बाली 20 अक्टूबर के आस-पास ही निकलती है. भारत सरकार के केन्द्रिय प्रजाति विमोचन की 82 मीटिंग में इसको अगस्त 2019 में अधिसूचनांकित की गई थी. इसके 1000 दाने का वनज 15 ग्राम तथा दाना मध्यम पतला होता है.  छोटे दाने वाली धान की यह प्रजाति अत्यधिक सुगन्धित तथा अत्यधिक साबुत चावल देती है.  इसकी कुछ खास बाते है जो अन्य प्रजातियों मे इसको सर्वौत्तम बनाती है वो है इसका लोहा और जस्ता की मात्रा, प्रोटीन का प्रतिशत (10.4) और निम्न ग्लाईसिमीक इंडेक्स (53.1). ग्लाईसिमीक इंडेक्स कम होने के कारण इसको मधुमेह रोगी भी इसको खा सकते है. इसमें एमाइलोज कम (20 प्रतिशत) होता है अतः पकाने पर इसका भात हमेशा मुलायम और स्वादिष्ट रहता है.

खेती की विधि

कालानमक किरण एक प्रकाश अवध संवेदी प्रजाति है. इसमें बालिया 20 अक्टूबर के आस-पास निकलती है तथा 25 नवम्बर के आस -पास यह कटाई के लिए तैयार होती है. अतः इसकी बुवाई का उचित समय जून का अन्तिम पखवारा (15 से 30 जून) के बीच ही है. एक हैक्टेयर में खेती के लिए 30 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है. जुलाई पहले सप्ताह के बाद बुवाई करने से इसकी पैदावार कम हो जाती है, लेकिन 15 जून से पहले बुवाई करने पर इसकी पैदावार में कोई बढ़ोत्तरी नही होती. 

रोपाई की विधि

जब पौध 20 से 30 दिन की हो जाये तो इसे उखाड़ कर 20 सेमी कतार से कतार और 15 सेमी पौधे से पौधे की दूरी पर रोपाई कर दी जाये. एक स्थान पर 2 से 3 पौध ही लगावे|

खाद की मात्रा

कालानमक की बौनी प्रजातियों में 120 ग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 60 किलोग्राम पोटास की आवश्यक्ता होती है. फासफोरस एवं पोटास की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की आधी मात्रा रोपाई से पहले मिलाकर खेत में ड़ाल दी जाती है.  रोपाई के एक महीने बाद खर पतवार नियन्त्रण के बाद बची हुई 60 किलोग्राम नत्रजन की मात्रा ऊपर से छिड़काव करके ड़ाल दी जा सकती है|

फसल की कटाई व मड़़ाई

चूंकि कालानमक की भूसी का रंग काला होता है अतः इसकी कटाई का समय निधार्रित करना थोड़ा कठिन होता है. सामान्यतया 50 प्रतिशत बाली निकलने के 30 दिन बाद धान की फसल कटाई के लिए तैयार होती है किन्तु कालानमक किरण को 40 से 45 दिन लगते है.  फसल कटाई के बाद, यदि कम्बाइन हार्वेस्टर का उपयोग नही किया जा रहा है तो 3 दिन के अन्दर ही पिटाई करके दाने पौधों से अलग कर लिए जाये और उसको 3 से 4 दिन धूप में अच्छी तरह सुखाकर भण्डारण कर ले.

पैदावार

कालानमक की औसत पैदावार 45 से 50 कुन्तल होती है. जैविक खेती जिसमें की हरी खाद के साथ-साथ ट्राईकोडर्मा तथा सोडोमान का प्रयोग किया गया हो कि पैदावार 50 से 55 कुन्तल तक हो सकती है. वर्तमान में इस समूह की प्रचलित प्रजातियों से यह ऊपज 27 प्रतिशत से अधिक है.

भण्डारण एवं कुटाई

धान सुखाने (14% नमी) के बाद प्लास्टिक की बोरियों अथवा टिन की बनी बुखारी में इसका भण्डारण चावल के रूप में न करके धान के रूप में करे जिससे इसकी सुगन्ध एवं पाक गुण ठीक रहते है. कुटाई के लिए अच्छी मशीनों का उपयोग करने से चावल कम टूटता है|

कालानमक किरण के दाने व पाक गुण:

कालानमक किरण अतिसुगन्धित अधिक प्रोटीन 10.4%, कम ग्लाइसिमिक इंडेक्स सर्करा विहीन और 20% एमाईलोज (चावल पकाने के बाद ठण्डा होने पर भी मुलायम) होता है. 53.1% ग्लाइसिमिक इंडेक्स के कारण मधुमेह के रोगी इसको बेझिझक खा सकते है.

तिगुनी आमदनी

कालानमक किरण के धान का औसत विक्रय मूल्य 3500 से 4000 रूपया प्रति कुन्तल होता है जोकि सामान्य धान से 3 से 4 गुना है. इससे शुद्ध लाभ रूपया 101250 प्रति हैक्टेयर पाया गया है. इसकी जैविक खेती से उत्पादन में शुद्ध लाभ 127500 होता है जोकि सामान्य धान से 3 गुना से भी अधिक है. 

बीज की उपलब्धता

कालानमक किरण का बीज पीआरडीएफ संस्था के मुख्यालय के उपरोक्त पते तथा पीआरडीएफ बीज के विधायन संयन्त्र डी-41, इंडस्ट्रीयल एरिया, खलीलाबाद, जिला संत कबीर नगर मो0 नम्बर 9415173984 से प्राप्त किया जा सकता है.

सिद्धार्थनगर जिला के वर्तमान अधिकारी

 सिद्धार्थनगर जिला के वर्तमान अधिकारी 

1.जिला अधिकारी

John

District Magistrate

Mr. Deepak Meena, IAS

Date of Appointment to IAS : 29/08/2011